सुखविंद्र सिंह मनसीरत “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 May 2022 · 1 min read पिता जी का साया *** पिता जी का साया *** ********************* पिता जी की छत्रछाया है, कभी भी साथ न पराया हैं। लू गम की जरा न लग पाए, बरगद सी शीतल छाया है,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 5 265 Share