सतविन्द्र कुमार राणा बाल “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सतविन्द्र कुमार राणा बाल 13 Jun 2022 · 1 min read जनक का जीवन हर आफत से खुद जो जूझे ऐसी वह चट्टान है निर्भर उस पर जो रहते हैं उन सबका वह मान है इंसां रब-सा रुतबा पाता बन जाता है जब पिता... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 2 2 233 Share सतविन्द्र कुमार राणा बाल 4 Jun 2022 · 1 min read जनक नभ का भी कम ही सुना, जिनसे कुछ विस्तार कर्मठ रहना फ़र्ज़ है, जिनका हर निशि-वार जिनका हर निशि-वार, गात मिहनत में गलता आत्मज का शुभ स्वप्न, स्वयं नैनों में... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कुण्डलिया 4 3 278 Share सतविन्द्र कुमार राणा बाल 29 May 2022 · 1 min read बागबाँ जरूरत को, शिकायत को सही पहचान पाता है, बने जब बाप कोई जन निभाना जान पाता है। नहीं आलस जगह रखता, नहीं परवाह को छोड़े, सही हर बागबाँ कर के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · ग़ज़ल/गीतिका 3 3 398 Share