हैं पिता, जिनकी धरा पर, पुत्र वह, धनवान जग में।।
विधा-आदित्य छन्द आधारित गीत विधान-मापनीयुक्त मात्रिक छन्द, क्रमागत दो चरण समतुकांत होना अनिवार्य, 5,14,19 वीं मात्रा पर यति एवं 28 वीं पर विराम। _________________________________ स्वर्ग या, जन्नत सभी कुछ, मान...
“पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · गीत