रिपुदमन झा "पिनाकी" “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid रिपुदमन झा "पिनाकी" 22 Apr 2022 · 1 min read पिता दिन-रात एक करके पिता करता कमाई। बच्चों के लिए ख़ुद की भी तकलीफ़ भुलाई। करता है त्याग और तपस्या वो हर क़दम- लेकिन पिता ने मान कहांँ मांँओं सी पाई।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक 6 4 369 Share