indu parashar “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid indu parashar 7 Jun 2022 · 2 min read पिता, पिता बने आकाश पिता न बदले थे न बदलोगे,जमाना गर बदल जाए। रहे जैसे रहे वैसे,जमाना भर बदल जाए। हिमालय सी वो ऊंचाई,वहीं सागर सी गहराई। हृदय में प्रेम की ऊष्मा, कहां थी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 6 6 829 Share