Suryakant Dwivedi “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Suryakant Dwivedi 16 Jun 2022 · 1 min read दीये की बाती ..दीये की बाती सूरज सा तपता है चंदा सा जगता है बच्चों की खातिर हर पल मरता है ।। मौन अभिव्यक्ति आंखें पढ़ लेती है फिसले जो रेत तो मुट्ठी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 6 382 Share Suryakant Dwivedi 13 May 2022 · 1 min read मैं पिता हूँ मैं पिता हूँ वह चुप रहता है निहारता है खुद को खुद को भूल जाता है कंधों पर ज़िम्मेदारी हैं हल्के नहीं पड़ने देता वह सोता नहीं रातभर खुद को... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 4 482 Share Suryakant Dwivedi 22 Apr 2022 · 1 min read जी, वो पिता है सूरज सा तपता है..जी पिता है सूरज सा तपता है चंदा सा जगता है बच्चों की खातिर हर पल मरता है ।। मौन अभिव्यक्ति आंखें पढ़ लेती है फिसले जो... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 7 7 456 Share Suryakant Dwivedi 22 Apr 2022 · 1 min read पिता और एफडी 1 पिता पूंजी है एफडी है ड्राफ्ट है ग्रेच्युटी है जो सब हमे बनाने में लगती है उसके पास होती है सिर्फ पेंशन बुढ़ापे की टेंशन। 2 मां घर है... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 3 319 Share