आर एस आघात “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid आर एस आघात 19 May 2021 · 1 min read बादलों का फिर से घिर आना बादलों का फ़िर से घिर आना, पीछे सूरज का यूँ छिप जाना, फ़िर टिम-टिम पड़ती बारिश से, मुझे वो दिन याद आते हैं । कभी रुक-रुक कर पड़ना, क़भी घनघोर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 4 613 Share आर एस आघात 19 May 2021 · 1 min read बारिश को आने दो ... बीत गया है सावन, सुखी नदी पड़ी है, पपीहे की पीहू-पीहू, देखो व्याकुल सी घड़ी है । बादल उमड़-उमड़ कहे, रुको अभी बरसुँगा । बारिश को आने दो, मैं तुम्हें... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 4 390 Share