Rekha Mohan “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Rekha Mohan 6 Jun 2021 · 1 min read वरसात वरसात घटाएंँ आज पुलकित हो सुनाती अब तराने हैं, बरसती बूंँद के सबको बचाने नित खजाने हैं। धरा ने भी सुगंधित पुष्प की चादर लपेटी ज्यों , भ्रमर मधुमास में... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 4 445 Share