डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 May 2021 · 1 min read देखते आ रहे दृश्य ये सर्वदा, मुक्तक देखते आ रहे दृश्य ये सर्वदा , अश्रु आँखों में छलके सदा सर्वदा । बाढ़ लीला मचाये भयंकर प्रलय , स्वप्न हैं टूटते झेलकर आपदा । रेवड़ी बाटते हो... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 3 3 528 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 May 2021 · 1 min read अति हर्षित होकर चले, सब बारिश में स्कूल। अति हर्षित होकर चले , सब बारिश में स्कूल । शिक्षक बच्चे कह रहे , मौसम है प्रतिकूल । मौसम है प्रतिकूल , सभी वाहन अब गायब। बिन बस कैसे... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कुण्डलिया 3 5 373 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 May 2021 · 1 min read सावन बरसे झूम के,ननदी झूला झूल। सावन बरसे झूम के , ननदी झूला झूल । रोके भौजी बाग में , रोके रुके न शूल । रोके रुके न शूल , टपाटप अमिया टपके , करें न... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कुण्डलिया 3 5 323 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 May 2021 · 1 min read छायी है बदरी घनी,बारिश है चहुँ ओर। कुण्डलिया। छायी बदरी है घनी,बारिश है चहुँओर। घोर घटा घन बीच है , चपला चमके जोर। चपला चमके जोर, चाँदनी चमके जैसे। करके घन की ओट,शर्म से दमके वैसे। कहें... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कुण्डलिया 2 6 307 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 May 2021 · 1 min read मेघ रुपहले राज छुपा कर, जीवन को हरसाता है। गीत सागर गहरे राज समा कर,जीवन को अपनाता है । मेघ रूपहले राज छुपा कर,जीवन को हरसाता है। प्रातः धरती की प्यास बढ़ाने,सूरज नभ में आता होगा। जल बिन मछली... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 8 338 Share