नंदन पंडित “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid नंदन पंडित 22 May 2021 · 1 min read बरसात और बूढ़ी आँख झम-झम-झम बादल झरे झर-झर बूढ़ी आँख दोनों में प्रतिद्वन्दिता चली समूची रात। वायु की गति देखकर भटके दर-दर सोच साथ कहीं न ले उड़े छप्पर को भी नोच पति पहले... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 3 10 385 Share नंदन पंडित 18 May 2021 · 1 min read वर्षा ऋतु लू के थपेड़े रुके सूरज के घोड़े थके बहने लगी पुरवाई। वर्षा ऋतु आई।। चींटियां सुरंग घुसीं, घोसलों में बया छुपी, चातक ने टेर लगाई। वर्षा ऋतु आई।। धरती की... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 1 8 480 Share