सिद्धार्थ गोरखपुरी “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 May 2021 · 1 min read एहसास हुआ करता है जब बरसात भिगोती तन को ,मन में उल्लास हुआ करता है। शबनमी हो जाता है तन मन ,जब भी वो पास हुआ करता है। बरसात की बूंदे ,मौसम मध्धम और... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 2 6 666 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2021 · 1 min read कल्यान किया करती है हरियाली से धरती का अनुपम, श्रृंगार किया करती है। सूखते पौधों को सींच के ,जीवन दान दिया करती है। सावन में झोंका साथ लिए जब आती है धरती पर, ये... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 3 530 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2021 · 1 min read ढूंढता हूँ क्या कशिश है न जाने उसको उसकी हर बात में ढूंढता हूँ। मिले थे कभी हम उस याद वाली मुलाकात में ढूंढता हूँ। गर्मी में तपन ,ठंड में गलन और... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · शेर 2 3 320 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2021 · 1 min read बरसात धरती को उसके घनघोर तपन से मुक्त करती बरसात। खेतों के उबड़ खाबड़ ढेलों को संयुक्त करती बरसात। देती है जीवन पपीहा को एक बूंद से, न जाने उस बून्द... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · शेर 2 4 529 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2021 · 1 min read बरसात हो जाये दिमाग दिल की दहलीज पर आये और बात हो जाये। खुद में खुद के नए हसीन रिश्ते की, शुरुआत हो जाये। मैं जब भी उनसे मिलूँ ये ख्वाहिश है मेरी,... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका 3 7 567 Share