Manu Vashistha “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Manu Vashistha 31 May 2021 · 1 min read बरसात की आस ✍️ आषाढ़ मास कर गया उदास! सावन मास बरसात की आस! बरसों बीते अब तो बरसाओ! ना तरसाओ माना, हैं दोषी हम! पर्यावरण से करी जो छेड़छाड़! भुगत रहा निर्दोष... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 4 541 Share