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देखो बरखा की रुत आयी।
Kumar Kalhans
ऐसे बरसो तरस गए नयनो से पानी बरसे।
Kumar Kalhans
भू से मिलकर नवजीवन की गाथाएं रचती हैं।
Kumar Kalhans
बरस रही हो बरखा रानी पर अंदाज़ अलग है।
Kumar Kalhans
सब ऋतुओं की रानी हो तुम , बरखा अमर जवानी हो तुम।
Kumar Kalhans