Mamta Singh Devaa “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mamta Singh Devaa 30 May 2021 · 1 min read ' कुदरत की चेतावनी ' ये बरखा बहार है देती करार है सूखी धरती पर लोगों की आस पर आशीर्वाद की फुहार है , इसका इंतज़ार है दिल बेकरार है तकती आँखों को रूकती साँसों... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 2 501 Share Mamta Singh Devaa 29 May 2021 · 1 min read ' बारिश का मज़ा ' चम - चम चपला घन - घन बदरा जैसे बाजे तबला , छप - छप छपाक तप - तप तपाक बारिश आई बेबाक , थर - थर थर्राये टर्र -... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 6 522 Share Mamta Singh Devaa 29 May 2021 · 1 min read ' कुदरत का वरदान ' रिमझिम रिमझिम बारिश मन को भाये गरजे जब बदरा मन मोरा घबराये , कड़कड़ाती बिजली जब चमक दिखाये दूर कही जाकर ये ज़रूर गिर जाये , चमकती है ये पहले... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 4 514 Share Mamta Singh Devaa 28 May 2021 · 1 min read " निर्मोही बरखा " ये कैसी निर्मोही बरखा है इसने सब मोह पानी में दे पटका है , कुछ दिन पहले ही तो छाई थी छत कैसे संभलेगी मूसलाधार में इस वक्त , जमीन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 6 353 Share Mamta Singh Devaa 28 May 2021 · 1 min read ' यादें और बारिश ' बचपन की बरसात मजेदार होती थी सर से लेकर पैरों तक सराबोर होती थी , धीरे - धीरे हम बड़े होने लगे बरसात में थोड़े - थोड़े गीले होने लगे... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 6 327 Share