Rajnish Goyal "माँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Rajnish Goyal 15 Nov 2018 · 1 min read मेरी माँ अनोखी माँ होगी सब की माँ अच्छी, पर मेरी माँँ सा कोई नहीं। सोती थी वो गीले में, सूखे में सुलाया था मुझको। जब मैं भोजन करती तो, पंखा झुलाया था मुझको।... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 23 88 1k Share