Pradip Rathi "माँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Pradip Rathi 13 Nov 2018 · 1 min read माँ "माँ " कण-कण में निर्झर माधुर्य मिश्री घोलती , माँ शाश्वत प्रेम की सृजनहार होती । करुणा का सागर विशाल हृदय में रखती , माँ तेरे उपकारों की व्याख्या नही... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 49 116 4k Share