रंजन कुमार प्रसाद "माँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid रंजन कुमार प्रसाद 14 Nov 2018 · 1 min read माँ रात दिन दुखियारी ,राह पथ चलती वो, अंखिया बादल लिए, नीर बरसाती है। कवन महतारी के, घर से निकाल फेके, बेटा को भी शर्म हया,कभी नहीं आती है। भूल गया... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 13 62 1k Share