प्रकाश जुयाल 'मुकेश' "माँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 15 Nov 2018 · 1 min read माँ भोलेपन की सूरत,पर माँ पिघल जाती है। श्रृंगार स्वरूप सब भूल कर,लोरी में घुल जाती है।। कोई बता दे उसकी ममता,की कैसी ये चादर । उठ-उठ कर आती माँ मेरी,ऐसा... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 15 48 1k Share