मिथिलेश कुमार शांडिल्य "माँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid मिथिलेश कुमार शांडिल्य 2 Nov 2018 · 1 min read हे माँ, तुम्हें नमन है. माँ, निर्झर का पानी है; अमिट कहानी है, माँ, सस्य श्याम धरती की तुम ही तो रानी है, माँ, जलती दुपहरी में पीपल का छाँव है, माँ, सागर की लहरों... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 25 141 1k Share