Gyanendra singh kushwaha "माँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Gyanendra singh kushwaha 16 Nov 2018 · 1 min read माँ..... एक तुम ही तो हो.. अपना सुख त्याग के.. दिन रात मेहनत करती हो.. पल्लू में रह के गोबर की,टोकरी उठाती हो.. तपती गर्मी में चुल्हे में खाना बनाती हो..... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 24 589 Share