Bajrang Soni "माँ" - काव्य प्रतियोगिता 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Bajrang Soni 29 Nov 2018 · 1 min read तनहा हो गयी माँ खुद ही मिट गयी तू, अपनी कोख उजाड़ कर तनहा हो गयी माँ, तू मुझे मारकर आँखे खोलती, सबसे पहले तुझे देखती होठ हिलते तो, मीठी–मीठी बोलती बगिया की महक,... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 71 1k Share