Bundeli Doha pratiyogita 142
142 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-142
*शनिवार #दिनांक ०९.१२.२०२३#
बिषय-गुनताड़ौ/गुनतारौ (उधेड़बुन, उपाय)
संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
1
तर्क करे के गणित में, प्रश्न आज हैं आत।
गुंतारे से ही सहज, सबरे हल हो जात।।
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– राम कुमार गुप्ता, हरपालपुर
2
गुनताड़ौ लगवाउ तौ ,हैं कौनउ औतार ।
वनवासी बन आय जे,तीर न करवै मार ।।
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-शोभाराम दाँगी ‘इंदु’,नदनवारा
3
गुनतारो कर रइ धना , तापत आगी बार ।
बहिन लाड़ली के मिलें , रुपया ढाइ हजार ।।
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-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
4
गुनताड़ौ जो ताड़ ले,कठिन काम हो खेल।
ऊंचाई खों जा छुयै,जो विरवा की बेल।।
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-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा, टीकमगढ़
5
जो गुनताडौ हैं करत , हाथ सफलता आय।
नइं मानौ तौ देख लो , बढ़िया जेउ उपाय।।
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-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
6
गुनताड़ौ है श्याम कौ , कर मनहारिन देह |
पैराबै चुरियाँ चलौ , आज राधिका गेह ||
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-सुभाष सिंघई, जतारा
7
कक्का गुनतारौ करें ,हैं किसान हैरान।
ओदें बादर टर गये,का करनें भगवान।।
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– भगवान सिंह लोधी “अनुरागी”,हटा
8
गुनताड़ो जेको बने, वोइ जीत है रेस।
अब चुनाय भी खत्म भय,आँख गड़ायें देस।।
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– श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा.म.प्र.
9
ढूंडत ढूंडत पोंच गय, लंका में हनुमान।
मन में गुनतारौ करें,का करिये भगवान।।
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-डां देवदत्त द्विवेदी, बड़ामलहरा
10
राज तिलक खों राम के,सज गय महल तमाम।
दासी गुनतारौ लगा, वनों विगारौ काम।।
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-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
11
मरगय गुनताडौ लगा, मिलै कौन खों ताज।
धरौ ओइके मूँड़ पै, जी कौ नोंनों राज।।
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-अंजनी कुमार चतुर्वेदी,निबाड़ी
12
सोच-फिकर में दिन कड़त, गुनताड़े में रात।
मोड़ी हो गइ ब्याव खों, ढेला नइयाँ हात।
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– संजय श्रीवास्तव,मवई( दिल्ली)
13
गुनताड़ौ अब ना करौ , जीवन के दिन चार।
भजलो सीताराम खौं , जेउ जगत में सार।।
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-आशाराम वर्मा “नादान ” पृथ्वीपुर
14
देस-देस के भूप जुर, समझ रये खिलवाड़।
टोरें कैसें शिव धनुष,गुनताडौ रय ताड़।।
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-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी
15
लगा लगा कैं हड़ गऔ,मैं गुनतारो खूब।
गांस गुड़ी कैंसे मिटे,कांस खेत की दूब।।
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-मूरत सिंह यादव, दतिया
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संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़