न जाने कहाँ दोस्तों की महफीलें खो गई ।
मैंने बेटी होने का किरदार किया है
फ्लाइंग किस और धूम्रपान
Dr. Harvinder Singh Bakshi
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
करता नहीं हूँ फिक्र मैं, ऐसा हुआ तो क्या होगा
काश असल पहचान सबको अपनी मालूम होती,
*किसी को राय शुभ देना भी आफत मोल लेना है (मुक्तक)*
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
इच्छा शक्ति अगर थोड़ी सी भी हो तो निश्चित
कुछ खो गया, तो कुछ मिला भी है
ग़ज़ल _ मांगती इंसाफ़ जनता ।