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14 May 2024 · 1 min read

तुम्हें जब सोचते हमदम ज़माना भूल जाते हैं ।

(1 )ग़ज़ल

—‘ ” ” ” —-‘ ” ” ” —-‘ ” ” “—-‘ ” ” ” ——

तुम्हें जब सोचते हमदम ज़माना भूल जाते हैं ।
सनम बेसुध से होकर के ठिकाना भूल जाते हैं ।।

घड़ी हर पल कटे दिन रात तुम्हारी याद में हमदम
ढलकते अश्क़ आंखों से छुपाना भूल जाते हैं।।

निहारू राह को हर दिन मिलन की आस को लेकर।
बुनूं बस ख़्वाब हमदम मुस्कुराना भूल जाते है ।।

तुम्हारे ख़्याल में अक्सर ढली कब रात जानू न।
चिरागों को सनम हम तो बुझाना भूल जाते हैं।।

छुपा जज़्बात “ज्योटी” से कहे कैसे लजाते जो ।
हमें वो देख कर के उफ़ जताना भूल जाते हैं ।।

ज्योटी श्रीवास्तव (jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞✍️

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