Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2022 · 1 min read

रंगीन

आंखें नशीली जैसे अफीम सा नशा,
सुर्ख लबों पर तुम्हारे रंगीन सा नशा।
मयकदे में मुझको मदहोश जो करे,
जरा होंठों से पिला दे नमकीन सा नशा।

जिंदगी एक कविता@गौरव

Language: Hindi
113 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हीरा जनम गंवाएगा
हीरा जनम गंवाएगा
Shekhar Chandra Mitra
रोम-रोम में राम....
रोम-रोम में राम....
डॉ.सीमा अग्रवाल
" फ़ौजी"
Yogendra Chaturwedi
जय जय जगदम्बे
जय जय जगदम्बे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अपनी सीरत को
अपनी सीरत को
Dr fauzia Naseem shad
2519.पूर्णिका
2519.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हम बेजान हैं।
हम बेजान हैं।
Taj Mohammad
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
***संशय***
***संशय***
प्रेमदास वसु सुरेखा
"जागो"
Dr. Kishan tandon kranti
इत्र, चित्र, मित्र और चरित्र
इत्र, चित्र, मित्र और चरित्र
Neelam Sharma
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
भाव गणित
भाव गणित
Shyam Sundar Subramanian
इतिहास गवाह है ईस बात का
इतिहास गवाह है ईस बात का
Pramila sultan
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
self doubt.
self doubt.
पूर्वार्थ
जहां से चले थे वहीं आ गए !
जहां से चले थे वहीं आ गए !
Kuldeep mishra (KD)
माँ
माँ
नन्दलाल सुथार "राही"
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
लखनऊ शहर
लखनऊ शहर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अहम जब बढ़ने लगता🙏🙏
अहम जब बढ़ने लगता🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
काश असल पहचान सबको अपनी मालूम होती,
काश असल पहचान सबको अपनी मालूम होती,
manjula chauhan
■ कोशिश हास्यास्पद ही नहीं मूर्खतापूर्ण भी।।
■ कोशिश हास्यास्पद ही नहीं मूर्खतापूर्ण भी।।
*प्रणय प्रभात*
सवाल जवाब
सवाल जवाब
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मुस्कुराओ तो सही
मुस्कुराओ तो सही
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
प्राण दंडक छंद
प्राण दंडक छंद
Sushila joshi
!! होली के दिन !!
!! होली के दिन !!
Chunnu Lal Gupta
त्यागकर अपने भ्रम ये सारे
त्यागकर अपने भ्रम ये सारे
इंजी. संजय श्रीवास्तव
रंगमंच
रंगमंच
लक्ष्मी सिंह
Loading...