“पं बृजेश कुमार नायक” द्वारा लिखित इस कृति में “क्रौंच ऋषि” के ज्ञान का आलोक है। ,”प्रभु श्री राम का चेतनालोक” इस कृति/शोधपरक ग्रंथ की श्रेष्ठ आध्यात्मिक रचना है। बिक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ बिहार से “विद्यासागर” सारस्वत सम्मान 2019 से अलंकृत इस श्रेष्ठ आध्यात्मिक कृति “क्रौंच सु ऋषि आलोक” के द्वितीय संस्करण में, ज्ञान और भाव का अनूठा सौंदर्य, हृदय को आनंदित कर देता है। आगे देखिए/पढ़िए ,उदाहरण के रूप में इस कृति ( “क्रौंच सु ऋषि आलोक” शोधपरक ग्रंथ/खंड काव्य के द्वितीय संस्करण ) से ली गई एक मनभावन कुंडलिया।..
श्री सीतापति ज्ञानमय, लक्ष्मण पूर्ण सतर्क।
दिव्य भक्त हनुमान हैं सेवारूपी अर्क।
सेवारूपी अर्क दिव्यतामय प्रकाश-सम।
जब हों तीनों एक,रुके रावण विकास-क्रम।
‘नायक’ कह ‘ऋषि क्रौंच’, चेत-बिन मानव खलमति,
को गह बनता क्षीण, लुप्त तब श्री सीतापति।
👉 कृति की श्रेष्ठता के आधार पर रचनाकार को प्राप्त सम्मान 👇
1✓”विद्यासागर सारस्वत सम्मान 2019″द्वारा बिक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ बिहार
👉संस्करण
1✓प्रथम संस्करण 2016, ISBN: 978-93-82340-39-3
2✓द्वितीय संस्करण 2018, ISBN:978-81-937022-8-4
यह कृति (“क्रौंच सु ऋषि आलोक” खंड काव्य /शोधपरक ग्रंथ का द्वितीय संस्करण )अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।”
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