4914.*पूर्णिका*
4914.*पूर्णिका*
🌷 कुछ अलग सोचते हम 🌷
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कुछ अलग सोचते हम।
कुछ अलग सोचते तुम ।।
भूख अपनी मिटे बस ।
क्या नहीं सोचते तुम ।।
सोच रख खूबसूरत ।
बहुत ही सोचते तुम ।।
ख्वाब भी हो हकीकत ।
नेक ना सोचते तुम ।।
साथ है आज खेदू।
क्या अच्छा सोचते तुम ।।
……✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
09-11-2024शनिवार