4861.*पूर्णिका*
4861.*पूर्णिका*
🌷 मंजिल दूर नहींअपनी 🌷
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मंजिल दूर नहीं अपनी।
खुशियांँ दूर नहीं अपनी।।
यूं मेहनत जहाँ हरदम ।
दुनिया दूर नहीं अपनी।।
रखते दिल में आस जरा ।
शानी दूर नहीं अपनी ।।
दामन प्यारा सा लगता ।
चाहत दूर नहीं अपनी ।।
साथ निभा चलते खेदू।
हमदम दूर नहीं अपनी।।
……..✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
06-11-2024बुधवार