4843.*पूर्णिका*
4843.*पूर्णिका*
🌷 अपनों हम मस्त रहते 🌷
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अपनों में हम मस्त रहते ।
फुर्सत नहीं बस व्यस्त रहते ।।
अलबेले है लोग यहाँ ।
कहते हरदम पस्त रहते ।।
रास्ता भी कठिन जरा सा।
काम नया जबर्दस्त रहते ।।
भाग्य बदलता है जीवन ।
सच देख वरदहस्त रहते ।।
सोच बड़ी रखते खेदू।
मन भी सुंदर दुरस्त रहते ।।
……..✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
04-11-2024रविवार