4810.*पूर्णिका*
4810.*पूर्णिका*
🌷 रखते जहाँ सोच सुंदर 🌷
2212 2122
रखते जहाँ सोच सुंदर।
रचते जहां सोच सुंदर।।
साथी बने आज अपना।
गढ़ते जहाँ सोच सुंदर।।
आधार है प्यार देखो।
बढ़ते जहाँ सोच सुंदर।।
बहती नदी रोज कलकल ।
रहते जहाँ सोच सुंदर।।
महके चमन फूल खेदू।
खिलते जहाँ सोच सुंदर।।
……..✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
01-11-2024शुक्रवार