4803.*पूर्णिका*
4803.*पूर्णिका*
🌷 खुशियों का दीप जले 🌷
22 22 22
खुशियों का दीप जले।
मन देख समीप मिले।।
सागर की गहराई ।
यूं मोती सीप मिले।।
शान निराली देखो।
अपना भी मीत मिले।।
गाते मस्त मौसम भी ।
हरदम संगीत मिले।।
दुनिया रौशन खेदू।
प्रीत जहाँ प्रीत मिले।।
………✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
01-11-2024शुक्रवार