4792.*पूर्णिका*
4792.*पूर्णिका*
🌷 प्रेम का दीप जला जाते 🌷
2122 22 22
प्रेम का दीप जला जाते ।
रौशनी भी फैला जाते ।।
फूल कांटे साथ जहाँ पर ।
राह चल सजन दिखा जाते ।।
काम बनता दिल से चाहों ।
देख वक्त अपन बना जाते ।।
बात है क्या लेकिन किंतु ।
जान के आज हटा जाते ।।
जिंदगी भी सजती खेदू।
बालम जहान सजा जाते ।।
…….✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
31-10-2024बुधवार