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30 Oct 2024 · 1 min read

4791.*पूर्णिका*

4791.*पूर्णिका*
🌷 प्रेम का दीप जलाया है 🌷
2122 22 22
प्रेम का दीप जलाया है ।
रौशनी फैलाया है ।।
महकता है मन भी अपना।
देख चमन सजाया है ।।
प्यार का ये दामन देखो।
नेक यूं सजन बनाया है ।।
गैर है कौन यहाँ बोलो।
नीत क्या बात बताया है ।।
बस चले कोई भी खेदू।
रोज नवराह दिखाया है ।।
…….✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
31-10-2024बुधवार

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