4744.*पूर्णिका*
4744.*पूर्णिका*
🌷 अपनों से तकलीफ कैसी 🌷
22 22 2122
अपनों से तकलीफ कैसी।
सपनों से तकलीफ कैसी।।
महके हरदम देख बगियां ।
सुमनों से तकलीफ कैसी।।
मंजिल की भी चाह कांटे ।
चुभनों से तकलीफ कैसी।।
बात यहाँ हम साफ रखते।
वचनों से तकलीफ कैसी।।
रब भी करते प्यार खेदू।
भजनों से तकलीफ कैसी।।
……..✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
23-10-2024बुधवार