4680.*पूर्णिका*
4680.*पूर्णिका*
🌷 तोड़ बंधनों का घेरा 🌷
2121 22 22
तोड़ बंधनों का घेरा।
देख देख मेरा तेरा।।
अजब गजब संसार यहाँ ।
लोग बस लगाते फेरा।।
चमन चमन यूं फूल खिले ।
दिल करीब रोज बसेरा ।।
अंधकार भागे फिरते।
रात बीत होत सबेरा ।।
शान नेक कहते खेदू।
दीप बन मिटे अंधेरा ।।
………✍️ डॉ. खेदू भारती। “सत्येश “
16-10-2024 बुधवार