4638.*पूर्णिका*
4638.*पूर्णिका*
🌷 जब साथ चलने लगे 🌷
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जब साथ चलने लगे।
मन देख खिलने लगे।।
चाहत जहाँ प्यार की ।
यूं फूल खिलने लगे ।।
देखो मिटे दूरियां ।
बेरंग खिलने लगे।।
बस समझ का फेर था।
मनुहार खिलने लगे।।
हम नेक खेदू यहाँ ।
बेजान खिलने लगे ।।
………..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
14-10-2024 सोमवार