4616.*पूर्णिका*
4616.*पूर्णिका*
🌷 आज अच्छाईयों की बात कहाँ 🌷
22 22 22 22 2
आज अच्छाईयों की बात कहाँ ।
आज बुराईयों की बात कहाँ ।।
देखो भीतर रावण वास करें।
आज लड़ाईयों की बात कहाँ ।।
बहता रहता हरदम दुख का नद ।
आज तन्हाईयों की बात कहाँ ।।
इंसानियत नहीं इस दुनिया में ।
आज लुगाईयों की बात कहाँ ।।
मतलब साधे संभल के खेदू।
आज भलाईयों की बात कहाँ ।।
………..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
12-10-2024 शुक्रवार