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11 Oct 2024 · 1 min read

4614.*पूर्णिका*

4614.*पूर्णिका*
🌷 प्यार का रंग अलग होता 🌷
2122 22 22
प्यार का रंग अलग होता।
यार का रंग अलग होता ।।
रंगते है रंगोली भी ।
चार का रंग अलग होता ।।
देख गिरते ऊपर नीचे।
धार का रंग अलग होता ।।
बेखयाली में बस जीते।
भार का रंग अलग होता ।।
सोच खेदू मजबूत यहाँ ।
मार का रंग अलग होता ।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
11-10-2024 शुक्रवार

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