4594.*पूर्णिका*
4594.*पूर्णिका*
🌷 कुछ तो लकीर पीटने लगे 🌷
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कुछ तो लकीर पीटने लगे।
कुछ तो फकीर पीटने लगे।।
कहते जिसे बहादुरी यहाँ ।
कुछ तो जमीर पीटने लगे।।
आते नहीं कहीं हयात भी ।
कुछ तो खमीर पीटने लगे।।
बहते रहे यहाँ वहाँ सनम ।
कुछ तो समीर पीटने लगे।।
खेदू जहाँ जरा चले कभी ।
कुछ तो तस्वीर पीटने लगे।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
09-10-2024 बुधवार