4503.*पूर्णिका*
4503.*पूर्णिका*
🌷 कैसे कहे बात अपनी 🌷
2212 2122
कैसे कहें बात अपनी।
कैसे रखे बात अपनी।।
ये जिंदगी रंग बदले ।
कैसे लिखें बात अपनी।।
बहती नदी रोज धारा ।
कैसे बहे बात अपनी।।
पीड़ा यहाँ कौन जाने।
कैसे सहे बात अपनी।।
देखो चढ़े शान खेदू।
आगे बढ़े बात अपनी।।
………..✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
01-10-2024 मंगलवार