4478.*पूर्णिका*
4478.*पूर्णिका*
🌷 यूं हम गरजते तो नहीं🌷
22 212 212
यूं हम गरजते तो नहीं ।
बेजा बरसते तो नहीं ।।
कुछ नायाब होते रिश्तें।
मन भी दरकते तो नहीं ।।
चलते राह पर जब यहाँ ।
राही भटकते तो नहीं ।।
खुशबू बांटते बस रहे।
बगियां महकते तो नहीं ।।
अरमाँ आज खेदू रखें ।
दुनिया मचलते तो नहीं ।।
………✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
28-09-2024 शनिवार