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27 Sep 2024 · 1 min read

4467.*पूर्णिका*

4467.*पूर्णिका*
🌷 ऐसा ही चलेगा कब तक🌷
22 2122 22
ऐसा ही चलेगा कब तक ।
राही तू अकेला कब तक ।।
मंजिल चूमती पग है ।
श्रम भी ना करेगा कब तक ।।
फूलों का हम दीवाने।
ये इतर महकेगा कब तक ।।
जपते रात दिन माला ले।
मार्ग दर्शन मिलेगा कब तक ।।
हरदम चौकन्ना है खेदू।
छलिया भी छ्लेगा कब तक ।।
………✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
27-09-2024 शुक्रवार

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