4431.*पूर्णिका*
4431.*पूर्णिका*
🌷 साथी जो अपने लगे🌷
22 22 212
साथी जो अपने लगे।
पूरे हर सपने लगे।।
समस्या क्या है हल जहाँ ।
मंतर सब जपने लगे।।
करना कुछ है जिंदगी।
बुद्धि भी यूं खपने लगे।।
रखते अलग हुनर यहाँ ।
खबरों में छपने लगे।।
चाहत खेदू जीत की।
सूरज सा तपने लगे।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
24-09-2024 मंगलवार