4408.*पूर्णिका*
4408.*पूर्णिका*
🌷 साथ अपने रहते तुम🌷
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साथ अपने रहते तुम ।
मुंह से ना कहते तुम ।।
ये रिश्तें नाते प्यारे।
दर्द यहाँ सब सहते तुम ।।
बदलती दुनिया देखो।
यूं नदी बन बहते तुम ।।
रंग घोले प्यार यहाँ ।
चाह रख के चहते तुम ।।
गम नहीं करते खेदू।
दे खुशी सच लहते तुम ।।
…….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
21-09-2024 शनिवार