4407.*पूर्णिका*
4407.*पूर्णिका*
🌷 आशा रहती जिंदा🌷
22 22 22 2
आशा रहती जिंदा।
भाषा रहती जिंदा।।
दुनिया के है रंग यहाँ ।
सांसा रहती जिंदा।।
बिगड़े भी बन जाते अब।
झांसा रहती जिंदा।।
लीलाएं करते हरदम।
रासा रहती जिंदा।।
चलते साथ जहाँ खेदू।
फांसा रहती जिंदा।।
…….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
21-09-2024 शनिवार