4362.*पूर्णिका*
4362.*पूर्णिका*
🌷 देने की चाहत रखते🌷
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देने की चाहत रखते।
लेने की चाहत रखते।।
डूबे न कश्ती ये अपनी।
खेने की चाहत रखते ।।
देते हरदम धार यहाँ ।
टेंने की चाहत रखते।।
निखरेगा जीवन अपना ।
सेंने की चाहत रखते।।
फैले प्यार यहाँ खेदू।
छेने की चाहत रखते।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
18-09-2024 बुधवार