4340.*पूर्णिका*
4340.*पूर्णिका*
🌷 वक्त के साथ ढ़लना पड़ा🌷
22 22 1212
वक्त के साथ ढ़लना पड़ा ।
पकड़े हाथ चलना पड़ा ।।
बदले अरमान जिंदगी।
खुद ही पत्थर गलना पड़ा ।।
दुनिया की बात समझ के।
सच में दाल दलना पड़ा ।।
ये अंधेरा मिटे यहाँ ।
बनके दीप जलना पड़ा ।।
यूं खेदू शान भी बढ़े।
मन को भी मचलना पड़ा ।।
……….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
15-09-2024 रविवार