4338.*पूर्णिका*
4338.*पूर्णिका*
🌷 नजर नहीं आती मंजिल🌷
22 22 22 2
नजर नहीं आती मंजिल ।
फजर नहीं आती मंजिल।।
संगीत यहाँ भी गूँजे ।
गीत नहीं गाती मंजिल।।
दीवाने होते जो हरदम ।
देख नहीं भाती मंजिल।।
करते ना मेहनत जहाँ ।
हाथ नहीं आती मंजिल।।
कदम बढ़ाते खेदू जब ।
बोल नहीं पाती मंजिल ।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
15-09-2024 रविवार