4332.*पूर्णिका*
4332.*पूर्णिका*
🌷 जीने की चाहत रखते हम🌷
22 22 22 22
जीने की चाहत रखते हम ।
मरने की चाहत रखते हम ।।
रूके ना रूके बस चलना।
बढ़ने की चाहत रखते हम ।।
हरदम देखो तुम जंग यहाँ ।
लड़ने की चाहत रखते हम ।।
काम मिले नाम मिले सच में ।
करने की चाहत रखते हम ।।
पाप जहाँ पुण्य भी है खेदू।
तरने की चाहत रखते हम ।।
……….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
14-09-2024 शनिवार
हिन्दी दिवस