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14 Sep 2024 · 1 min read

4330.*पूर्णिका*

4330.*पूर्णिका*
🌷 हमें कोई कुछ भी कहे🌷
122 22 212
हमें कोई कुछ भी कहे ।
तुम्हें कोई कुछ भी कहे ।।
बढ़े हम हरदम बस यहाँ ।
चले कोई कुछ भी कहे।।
बदलती रहती जिंदगी।
भले कोई कुछ भी कहे ।।
निखारे खुद को देख ले।
बुरे कोई कुछ भी कहे ।।
खुशी से खेदू गम मिटे।
नया कोई कुछ भी कहे ।।
…….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
14-09-2024 शनिवार
हिन्दी दिवस

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